ChatGPT की ‘हाँ में हाँ’ मिलाने की आदत… आपके दिमाग को खा रही है
ChatGPT की सबसे बड़ी दिक्कतों में से एक है – इसकी ज़रूरत से ज़्यादा सपोर्टिव और तारीफ़ करने वाली आदत।
जब आप ChatGPT से बात करते हैं, तो वो आपकी हर बात से सहमत होता है, आपकी हर सोच, हर सपना, हर आइडिया को “हाँ बिल्कुल!” कहकर सपोर्ट करता है।
धीरे-धीरे ये चैट एक echo chamber (गूंजता हुआ कमरा) बन जाती है – जहां सिर्फ आपकी ही आवाज़ लौटकर आती है।
कोई आलोचना नहीं, कोई चुनौती नहीं – बस आप और एक हमेशा “हाँ” कहने वाली AI।
Chatgpt क्यों खतरनाक है?
क्योंकि जब किसी को बार-बार बिना रुकावट अपनी ही बात सुनने को मिले, तो वो खुद को ज़रूरत से ज़्यादा समझदार या सही मानने लगता है।
एक दिन आप बस आइडिया ब्रेनस्टॉर्म (मंथन) कर रहे होते हैं, और अगली ही बार आप सोचने लगते हैं कि “मैं तो जीनियस हूं!”
शायद मैं इसे थोड़ा ड्रामेटिक तरीके से कह रहा हूं… लेकिन यकीन मानिए, अगर आप भी मेरी तरह रोज़ LLM (जैसे ChatGPT) का इस्तेमाल करते हैं, तो ये आदत छोटे स्तर पर भी दिमाग पर असर डाल सकती है।
मैं ये लेख सिर्फ इसलिए लिख रहा हूं ताकि आप इस आदत को समझें और सतर्क रहें।
मैं आपको कुछ ऐसे प्रॉम्प्ट्स भी बताऊंगा जिससे आप इस “Yes Man” प्रॉब्लम से बच सकें।
वैसे तो ये समस्या तब से है जब से ChatGPT आया है, लेकिन हाल ही में जब से OpenAI ने पूरे सिस्टम के एक छोटे से कोड (system prompt) में बदलाव किया, तो यह समस्या और भी ज़्यादा बढ़ गई है।
ChatGPT कैसे आपके दिमाग को धीरे-धीरे बदल रहा है
ChatGPT आपकी सोचने-समझने की शक्ति को चुपचाप खत्म कर रहा है? जानिए न्यूरोसाइंस और मनोविज्ञान की नज़र से इसका सच, इसके छिपे हुए ख़तरों के बारे में और आप कैसे इसका गुलाम नहीं, बल्कि मास्टर बन सकते है।

कल्पना कीजिए, आप एक मुश्किल रिपोर्ट पर काम कर रहे हैं, एक जटिल ईमेल लिखना है, या बस किसी विषय पर गहरी जानकारी चाहिए। कुछ साल पहले, आप शायद किताबें खंगालते होंगे, कई वेबसाइट्स पर रिसर्च करते होंगे और अपने दिमाग पर ज़ोर डालते होंगे। लेकिन आज, आपका हाथ सबसे पहले ChatGPT की ओर बढ़ता है। और आप कुछ सेकंड में, सटीक, सुव्यवस्थित जवाब आपके सामने होता है। यह तो किसी जादू जैसा लगता है, है न?
लेकिन क्या कभी आपने रुककर सोचा है कि यह तत्काल सुविधा, यह ‘रेडीमेड ज्ञान’ आपके मस्तिष्क पर क्या असर डाल रहा है? हम सब इसकी तारीफ़ों के पुल बांध रहे हैं, लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू देखना भूल गए हैं। यह लेख कोई तकनीकी विरोध नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है। एक आईना है जो दिखाएगा कि कैसे यह अद्भुत टूल, अगर बिना सोचे-समझे इस्तेमाल किया गया, तो आपकी सबसे कीमती इंसानी संपत्ति – आपकी स्वतंत्र सोच – के लिए एक धीमा ज़हर बन सकता है।
वह 5 तरीके जिनसे ChatGPT आपकी मानसिक क्षमताओं को खोखला कर रहा है
यह कोई डरावनी कहानी नहीं, बल्कि न्यूरोसाइंस, मनोविज्ञान और संज्ञानात्मक विज्ञान (Cognitive Science) पर आधारित एक विश्लेषण है।
1. आलोचनात्मक सोच का क्षरण: जब दिमाग ‘जिम’ जाना छोड़ दे
सोचिए, अगर आप चलना-फिरना बंद कर दें और हर जगह व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने लगें, तो आपके पैरों की मांसपेशियों का क्या होगा? वे कमज़ोर हो जाएँगी, और एक दिन आप बिना सहारे के चल भी नहीं पाएँगे।
आपका दिमाग भी एक मांसपेशी है। जब आप कोई समस्या सुलझाते हैं, अलग-अलग विचारों को जोड़ते हैं, तर्क-वितर्क करते हैं, या किसी जानकारी की सच्चाई परखते हैं, तो आपका दिमाग ‘कसरत’ कर रहा होता है। ChatGPT आपको यह सब कुछ पका-पकाया दे देता है। यह विश्लेषण करने, संश्लेषण (synthesis) करने और मूल्यांकन (evaluation) करने की प्रक्रिया को बाइपास कर देता है।
- परिणाम: धीरे-धीरे, आपकी जटिल समस्याओं को समझने और उन्हें हल करने की क्षमता कमज़ोर पड़ने लगती है। आप जवाब स्वीकार करने वाले बन जाते हैं, सवाल पूछने वाले नहीं।
2. ज्ञान का भ्रम (The Illusion of Knowledge): जानने और समझने का अंतर
ChatGPT आपको ‘तथ्य’ देता है, ‘ज्ञान’ नहीं। तथ्य को रट लेना या कॉपी-पेस्ट कर लेना ज्ञान नहीं है। सच्चा ज्ञान तब आता है जब आप जानकारी को प्रोसेस करते हैं, उसे अपने मौजूदा ज्ञान से जोड़ते हैं, और उसकी एक गहरी समझ विकसित करते हैं।
जब आप AI से पूछते हैं, “क्वांटम फिजिक्स क्या है?” और वह आपको एक सटीक परिभाषा दे देता है, तो आपको लगता है कि आप इसे समझ गए हैं। लेकिन यह एक भ्रम है। आपने इसे सीखा नहीं है, बस देखा है। इसे “एपिसटेमिक आउटसोर्सिंग” (Epistemic Outsourcing) कहते हैं, जहाँ हम अपनी जानने और याद रखने की ज़िम्मेदारी मशीन को सौंप देते हैं।
- परिणाम: हम जानकारी के उपभोक्ता (consumer) बन जाते हैं, ज्ञानी नहीं। हमारी याददाश्त और विषयों को गहराई से जोड़ने की क्षमता घट जाती है।
3. पूर्वाग्रह का इको-चैंबर (The Echo Chamber of Bias): जब AI आपकी सोच को आकार दे
यह समझना बहुत ज़रूरी है कि ChatGPT निष्पक्ष (unbiased) नहीं है। उसे इंसानों द्वारा बनाए गए अरबों पन्नों के डेटा पर प्रशिक्षित किया गया है। इस डेटा में हमारे समाज के सारे पूर्वाग्रह, रूढ़िवादिता (stereotypes) और पक्षपात भरे पड़े हैं।
AI अनजाने में इन पूर्वाग्रहों को अपने जवाबों में शामिल कर लेता है। अगर आप लगातार उसी से जानकारी लेते रहेंगे, तो आप अनजाने में उन्हीं सीमित और पक्षपाती दृष्टिकोणों को सच मानने लगेंगे। यह आपकी सोच को एक अदृश्य पिंजरे में कैद कर सकता है।
- परिणाम: आपकी सोच में मौलिकता और विविधता खत्म हो जाती है। आप दुनिया को AI के फ़िल्टर किए हुए चश्मे से देखने लगते हैं, जो अक्सर पक्षपाती होता है।
4. रचनात्मकता का पतन: रीमिक्स और मौलिकता का फ़र्क
ChatGPT अद्भुत टेक्स्ट लिख सकता है, कविता बना सकता है, कोड लिख सकता है। लेकिन यह ‘रचना’ नहीं कर रहा है, यह ‘पैटर्न मैचिंग’ कर रहा है। यह अपने विशाल डेटाबेस से सीखे गए पैटर्न को मिलाकर कुछ नया जैसा दिखने वाला बना रहा है।
असली मानवीय रचनात्मकता अनुभव, भावनाओं, दर्द, खुशी और अंतर्ज्ञान (intuition) से जन्म लेती है। यह अव्यवस्थित और अप्रत्याशित होती है। जब हम रचनात्मक कार्यों के लिए AI पर निर्भर होने लगते हैं, तो हम अपने अंदर के उस अनूठे स्रोत से संपर्क खो देते हैं। हम ‘बनाने’ की मुश्किल और सुंदर प्रक्रिया को छोड़कर ‘बनवाने’ के आसान रास्ते पर चल पड़ते हैं।
- परिणाम: आपकी मौलिक विचार पैदा करने की क्षमता कुंद हो जाती है। आप एक क्रिएटर से क्यूरेटर बन जाते हैं।
5. न्यूरोलॉजिकल प्रभाव: आपका मस्तिष्क खुद को बदल रहा है
विज्ञान का एक सिद्धांत है “न्यूरोप्लास्टिसिटी” (Neuroplasticity)। इसका मतलब है कि आपका मस्तिष्क आपके अनुभवों और आदतों के आधार पर लगातार खुद को बदलता और पुनर्गठित करता है। जिन न्यूरल पाथवे का आप ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, वे मज़बूत होते हैं और जिनका नहीं करते, वे कमज़ोर हो जाते हैं।
जब आप गहरी सोच, याद करने और समस्या-समाधान जैसे कामों को AI को सौंप देते हैं, तो इन कामों के लिए ज़िम्मेदार दिमागी रास्ते कमज़ोर होने लगते हैं। आपका दिमाग “उथली सोच” (shallow thinking) के लिए खुद को ऑप्टिमाइज़ कर लेता है।
- परिणाम: आपकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता (attention span) घट जाती है और आप गहरी और लंबी सोच वाले कामों से बचने लगते हैं। यह एक वास्तविक, भौतिक परिवर्तन है जो आपके मस्तिष्क में हो रहा है।
Chatgpt के गुलाम नहीं, मास्टर बनें ये तरीके अपनाकर!

तो क्या हमें ChatGPT को इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए? बिलकुल नहीं। आग का इस्तेमाल खाना पकाने के लिए भी हो सकता है और घर जलाने के लिए भी। ज़रुरत है इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने की।
- इसे असिस्टेंट समझें, अथॉरिटी नहीं: AI को एक सहायक मानें जो रिसर्च में आपकी मदद कर सकता है। उसके जवाबों को अंतिम सत्य न मानें।
- हमेशा फैक्ट-चेक करें: AI गलतियाँ करता है। उसके दिए गए हर तथ्य की पुष्टि हमेशा विश्वसनीय स्रोतों से करें। यह आदत आपकी आलोचनात्मक सोच को मज़बूत करेगी।
- विचारों के लिए इस्तेमाल करें, अंतिम उत्पाद के लिए नहीं: AI से आइडिया या शुरुआती ड्राफ्ट लें, लेकिन अंतिम रूप हमेशा अपनी समझ, शैली और ज्ञान से दें।
- AI से “क्यों” और “कैसे” पूछें: सिर्फ जानकारी न मांगें। उससे पूछें, “तुम इस निष्कर्ष पर कैसे पहुँचे?” या “इस विषय पर अलग-अलग दृष्टिकोण क्या हैं?” इससे आप गहराई में जाएँगे।
- डिजिटल डिटॉक्स करें: नियमित रूप से बिना किसी AI की मदद के सोचने, लिखने और समस्याएँ सुलझाने का अभ्यास करें। किताबें पढ़ें, हाथ से लिखें, लोगों से बहस करें।
आइए अब हम Chatgpt हमेशा हमें हां में जवाब ना दे इसके लिए क्या करें और हां से कैसे बचें इसके बारे में जानते हैं और वे ऐसे कौन से Prompts हैं जो आपको इसमें आपकी हेल्प करेंगे
- बचाव के लिए स्मार्ट प्रॉम्प्ट्स
- सोचने वाले सवाल (Critical Thinking Prompts)
- ‘ट्रुथ चैलेंजिंग’ तकनीकें
1. ChatGPT के “Yes Man” व्यवहार से बचने के लिए स्मार्ट प्रॉम्प्ट्स
जब ChatGPT आपकी हर बात पर “हाँ, आप सही हैं” कहता है, तो धीरे-धीरे वो आत्म-भ्रम (Self-delusion) पैदा कर सकता है। इससे बचने का तरीका है – ऐसे प्रॉम्प्ट्स बनाना जो ChatGPT को मजबूर करें कि वो आपकी बात को चुनौती दे या उसका दूसरा पक्ष दिखाए।
उपयोगी स्मार्ट प्रॉम्प्ट्स:
- “इस आइडिया की कमज़ोरियों पर ध्यान दो – इसमें क्या गलत हो सकता है?”
- “क्या आप इससे असहमत होने की कोशिश कर सकते हैं?”
- “इस विषय में आलोचकों की क्या राय होती है?”
- “अगर तुम्हें मेरी सोच से असहमत होना पड़े, तो तुम क्या तर्क दोगे?”
- “इस विचार के क्या-क्या नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं?”
इन प्रॉम्प्ट्स से ChatGPT सिर्फ हाँ नहीं करेगा, बल्कि वो आपकी सोच में संतुलन और चुनौती दोनों लाएगा।
2. सोचने वाले सवाल (Critical Thinking Prompts)
ChatGPT को सिर्फ जवाब देने वाला टूल नहीं मानिए – उसे सोचने वाला सहायक बनाइए। आप जब सोचने वाले (Reflective) सवाल पूछते हैं, तो वह ज़्यादा संतुलित, विविध और स्पष्ट जवाब देता है।
ऐसे प्रॉम्प्ट्स का इस्तेमाल करें:
- “इस टॉपिक पर अलग-अलग नज़रिए क्या हो सकते हैं?”
- “इस विषय पर 3 अलग-अलग राय बताओ – एक सहमत, एक विरोध, एक न्यूट्रल।”
- “इस निर्णय के संभावित जोखिम और फायदे क्या हैं?”
- “अगर मुझे इस पर फैसला लेना है, तो किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?”
इस तरह आप सिर्फ पुष्टि नहीं पा रहे, बल्कि विश्लेषण और सोचने की क्षमता को भी बढ़ा रहे हैं।
3. ट्रुथ-चैलेंजिंग टेक्नीक – ChatGPT से असहमत करवाने की तकनीक
LLMs का “Yes Man” बिहेवियर बहुत गहरा है – इसलिए कभी-कभी आपको उन्हें जबरदस्ती गलत पक्ष लेने को कहना पड़ता है, ताकि वो संतुलन बनाए रखें।
ट्रुथ-चैलेंजिंग टेक्निक्स:
- रोलप्ले का उल्टा इस्तेमाल करें:
👉 “एक वकील की तरह सोचो जो मेरी बात को गलत साबित करना चाहता है।”
👉 “मान लो मैं गलत हूं – अब मुझे समझाओ क्यों।” - कन्फिडेंस स्कोर पूछो:
👉 “इस जवाब पर तुम्हारा कितना विश्वास है – 0 से 100 के बीच?”
👉 “अगर इस जवाब में गलती हो तो वह क्या हो सकती है?” - डिबेट मोड ऑन करो:
👉 “एक डिबेट की तरह – पहले मेरी राय दो, फिर उसकी काट करो।” - ‘अगर-गलत-तो?’ दृष्टिकोण:
👉 “अगर मेरी सोच गलत है, तो असलियत क्या हो सकती है?”
इन तरीकों से आप ChatGPT को Forced Echo से बाहर लाकर एक रियल थॉट-टूल में बदल सकते हैं।
ChatGPT आपकी सोच को पुष्ट कर सकता है, लेकिन बिना संतुलन के ये आपकी सोचने की क्षमता को सीमित भी कर सकता है।
इसलिए “हाँ” सुनने की बजाय ChatGPT से सवाल करिए, आलोचना कराइए और बहस कराइए।
निष्कर्ष:
ChatGPT एक क्रांतिकारी तकनीक है, लेकिन हर क्रांति की एक कीमत होती है। आज खतरा यह है कि हम अपनी सबसे बड़ी ताकत, अपनी चेतना और बुद्धि को, सुविधा के बदले गिरवी रख रहे हैं।
असली सवाल यह नहीं है कि ChatGPT कितना स्मार्ट है, बल्कि यह है कि क्या हम उसकी वजह से अपनी स्मार्टनेस खो रहे हैं?
यह ‘ज़हर’ तभी असर करेगा जब आप इसे पीएंगे। जागरूक बनें, सचेत रहें और इस शक्तिशाली उपकरण के मालिक बनें, गुलाम नहीं। क्योंकि जिस दिन इंसान ने सोचना बंद कर दिया, उस दिन वह मशीन से हार जाएगा।